नई दिल्ली: भारत ने बीते दिन ही गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. इस फैसले की जी 7 ने निंदा की थी. जिस पर अब भारत ने कहा कि वह कमजोर देशों और पड़ोसियों को गेहूं आपूर्ति देना बंद नहीं करेगा. गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला अनाज के दाम को काबू में करने के लिए किया गया. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ही गेहूं की आपूर्ति भी प्रभावित हुई. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज एक ट्वीट में कहा कि देश का गेहूं का स्टॉक “भरपूर” मात्रा में है.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने ट्वीट में आश्वासन दिया कि भारत गेहूं निर्यात पर सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा. जर्मनी में सात (जी 7) औद्योगिक देशों के कृषि मंत्रियों की बैठक के कुछ घंटों बाद कहा गया कि गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के भारत के कदम से कमोडिटी की बढ़ती कीमतों का संकट और गंभीर हो जाएगा.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया, “गेहूं का स्टॉक भरपूर है. भारत की खाद्य सुरक्षा, किफायती खाद्यान्न सुनिश्चित करने और बाजार की अटकलों से निपटने के लिए गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि उन्होंने ये भी साफ किया कि भारत, आपूर्तिकर्ता, पड़ोसियों और कमजोर देशों की जरूरतों सहित सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा.”
फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आपूर्ति की आशंकाओं के कारण वैश्विक स्तरप गेहूं की कीमतें बढ़ गई हैं. साथ ही उर्वरक की कमी और खराब फसल के कारण कीमतों में बढ़ोतरी ने वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है. समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने स्टटगार्ट में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “अगर हर कोई निर्यात प्रतिबंध या बाजार बंद करना शुरू कर देता है, तो इससे संकट और खराब हो जाएगा.”
G7 मंत्रियों ने देशों से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई नहीं करने का आग्रह किया जिससे उपज बाजारों पर और दबाव पड़ सकता है. उन्होंने ” बाजारों को खुला रखने का आह्वान किया.”ओजडेमिर ने कहा, “हम भारत से G20 सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने का आह्वान करते हैं.” भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश हैं.